Monday 27 June 2016

वैदिक छन्द

!!!---: वैदिक छन्द :---!!!
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भागः--पाँच
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प्राचीन ग्रन्थों में "छन्द" का लक्षण इस प्रकार से उपलब्ध होता हैः---

(1.) कात्यायन मुनि ने ऋक्सर्वानुक्रमणी में आरम्भ मे लिखा हैः--

"यदक्षरपरिमाणं तच्छन्दः ।" 2.6

अर्थः---जो अक्षर का परिमाण है, वह "छन्द" कहाता है ।

(2.) अथर्ववेद की बृहत्सर्वानुक्रमणी में छन्द का लक्षण इस प्रकार से दिया हैः---

"छन्दोSक्षरसंख्यावच्छेदकमुच्यते ।" (पृष्ठ--1)

अर्थः---अक्षर-संख्या का अवच्छेदक (नियामक) "छन्द" कहाता है ।

यद्यपि छन्द के ये दोनों लक्षण वैदिक ग्रन्थों के हैं, पुनरपि इससे इतना स्पष्ट है कि जिस छन्दोनाम के उच्चारण करते ही पद्य अथवा गद्य-बद्ध रचना विशेष के अक्षरों की संख्या का ज्ञान हो जाए, वह "छन्द" कहाता है ।

उक्त लक्षणों की मन्त्रानुसारिता---

छन्द के उपर्युक्त दोनों लक्षण निम्न ऋक्मन्त्र पर आश्रित हैः---

"अक्षरेण मिमते सप्त वाणीः ।" (ऋग्वेदः--1.164.24)

अर्थः---अक्षर (जाति में एकत्व) से ही सप्त वाणी (सप्त छन्दों) का मान (परिमाण) होता है ।

इस प्रकार सायण लिखता हैः---

"अक्षरेणैव सप्त वाणी वागधिष्ठितानि सप्त छन्दांसि मिमते निर्माणं कुर्वन्ति (मिमते मान्ति मातारः---पाठान्तरम्) ।........अक्षरैः पादाः परिमीयन्ते, परिमितैः पादैश्छन्दांसि ।"


इससे स्पष्ट होता है कि जिस छन्दोनाम के श्रवण से मन्त्रों की लौकिक संस्कृत वाङ्मय में अकारान्त "छन्द" शब्द प्रायः स्वातन्त्र्य आदि अर्थ में प्रयुक्त होता है । परन्तु ऋग्वेद (6.11.3) में अकारान्त "छन्द" शब्द आधिदैविक "छन्दस्" (सूर्य आदि की रश्मियों) के अर्थ में भी प्रयुक्त हुआ है । आधिदैविक छन्दों का वैदिक तथा लौकिक गायत्री आदि छन्दों के घनिष्ठ सम्बन्ध है । इस कारण आधिदैविक छन्दस् का पर्याय अकारान्त "छन्द" शब्द भी गायत्री आदि छन्दों के लिए प्रयुक्त होता है ।


तैत्तिरीयारण्यक (10.33) में अकारान्त छन्द शब्द का एक पाठ हैः---

"ओमित्येकाक्षरं ब्रह्म । अग्निर्देवता, ब्रह्म इत्यार्षम् । गायत्रं छन्दसम् ।"

रामायण (वा.रा. युद्धकाण्ड---36.46) का एक प्रयोग देखिएः----

"नह्यस्य कश्चित् सदृशोSतिशास्त्रे वैशारदे छन्दगतौ तथैव ।"

अतः हिन्दी में प्रयुक्त अकारान्त "छन्द" पद सकारान्त छन्दस् का तद्भव (अपभ्रंश) रूप नहीं है , अपितु शुद्ध संस्कृत का तत्सम शब्द है । तदनुसार हम भी इस पोस्ट में "छन्दस्" पद के लिए "छन्द" पद का ही प्रयोग करेंगे ।

इस और गत पोस्टों में हमने "छन्दः" पद के विविध अर्थों का निदर्शन और "छन्दः" का लक्षण दर्शाया है । अग्रिम पोस्ट में "छन्द" पद का निर्वचन और उनकी विवेचना की जाएगी ।

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