Saturday 25 July 2020

दर्श पौर्णमास यज्ञ

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संकलनकर्त्ता--- योगाचार्य डॉ. प्रवीण कुमार शास्त्री

(१.) वैदिक यज्ञों के सात प्रमुख हविर्यज्ञो में से तीसरा यज्ञ है---दर्शपौर्णमास यज्ञ ।

(२.) दर्शयाग अमावास्या को होता है ।

(३.) पौर्णमास यज्ञ पूर्णिमा को  होता है ।

(४.) दर्शपौर्णमास ६ यागों का समुच्चय है ।


(५.) दर्श यागों के ३ समूह है ।

(६.) पौर्णमास यागों के भी ३ समूह हैं ।

संकलनकर्त्ता--- योगाचार्य डॉ. प्रवीण कुमार शास्त्री

(७.) यज्ञों में अग्नि का आधान क्रमशः अमावस्या और पूर्णिमा को होता है ।

(८.) यागविधि प्रतिपदा के दिन सम्पन्न होती है .।

(९.) छः कर्म एक ही फल देते हैं ।

(१०.) अमावस्या के तीन याग हैं --अग्नि प्रीत्यर्थ पुरोडाशयाग, इन्द्र प्रीत्यर्थ पुरोडाशयाग और इन्द्र प्रीत्यर्थ पयोद्रव्यकयाग

(११.) पूर्णिमा के भी तीन याग हैं---अष्टकपाल पुरोडाशयाग, उपांशुयाग और एकादश कपाल पुरोडाशयाग

संकलनकर्त्ता--- योगाचार्य डॉ. प्रवीण कुमार शास्त्री

(१२.) दर्शपौर्णमास याग ३० वर्षों तक अनवरत अखण्डित चलता है ।

(१३.) ३० वर्षं में कुल पूर्णिमा ३६० और कुल अमावस्या भी ३६० होती है ।

(१४.) दाक्षायण यज्ञ १५ वर्षं तक किया जाता है ।

(१५.) यज्ञ के दिन को "उपवसथ" कहा जाता है ।

(१६.) यज्ञ के द्वितीय दिन को "यजनीय" कहा जाता है ।

(१७.) इसमें यजमान चार पुरोहितों को नियुक्त करता है ।

(१८.) दर्श की दृष्टि में पुरोडाश के देवता इन्द्र एवं इन्द्राणी हैं ।

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