Wednesday 31 May 2017

चान्द्र मास

!!!---: चान्द्र-मास :---!!!
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भारतीय पञ्चाङ्ग चंद्रमा की गति पर आधारित है, जबकि पाश्चात्य ग्रेगेरियन कैलेंडर और हिजरी कैलेंडर सूर्य की गति के आधार पर है । यह वर्ष उतने दिन का होता है,जितने चन्द्रमा को पृथ्वी की एक बार परिक्रमा करने में समय लगता हैं ।। धार्मिक कार्य में चान्द्र ऋतुएँ ली जाती हैं।
चन्द्र के अनुसार एक वर्ष में बारह महीने होते हैं। चन्द्र का वर्ष ३५४ दिन का होता है , जबकि सूर्य का वर्ष ३६५ दिन का होता है । सौर वर्ष से चान्द्र वर्ष में ग्यारह दिन कम होता है । इसका तालमेल बिठाने के लिए किसी-किसी चन्द्र-वर्ष में एक मास अधिक-मास होता है, जो कि मल-मास नाम से जाना जाता है। अधिक-मास को और बहुत से नामों से (जैसे मल मास) पुकारा जाता हैं।
अधिक-मास, लीप-इयर की २९ फरवरी की तरह हैं, लेकिन अधिम-मास चार वर्ष के बाद न होकर ढाई वर्ष (३० महीने) बाद होता है। इसलिए हर दो-तीन वर्ष बाद १३ महीनों का संवत् (वर्ष) होता है। जिस वर्ष में अधिक-मास जिस मौसम में पड़ता है, उस वर्ष वह मौसम भी एक महीना लम्बा हो जाता है।
अधिक मास को आध्यात्मिक दृष्टि से श्रेष्ठ माना जाता है। अधिक-मास में कीर्तन-भजन, ध्यान, उपासना, धार्मिक कृत्य, यज्ञ, अनुष्ठान आदि अधिक से अधिक करने चाहिए। लेकिन इस माह में भौतिक सुख-समृद्धि के लिए यज्ञ-अनुष्ठान या क्रिया-कलाप नहीं होते।
किसी महीनें की पूर्णिमा के दिन चन्द्र जिस नक्षत्र पर होता है, उसी नक्षत्र के नाम पर उस महीने का नाम होता है।
अयन
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अयन दो हैं, “उत्तरायण” तथा “दक्षिणायन”। सूर्य नारायण जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो वे उत्तरायण कहलाते हैं और जब कर्क में प्रवेश करते हैं तो दक्षिणायन कहे जाते हैं। प्रत्येक अयन में सूर्य भूचक्र पर ६ राशियों में भ्रमण करते हैं। उत्तरायण के समय “मकर से मिथुन” छः राशियों और दक्षिणायन के समय “कर्क से धनु” छः राशियों में सूर्य का गोचर होता है।
वास्तव में पृथ्वी उत्तरायण या दक्षिणायन होती है लेकिन अध्ययन या समझाने की सुविधा के लिए सूर्य को उत्तरायण या दक्षिणायन कहा जाता है। जब हमारा उत्तरी ध्रुव सूर्य की ओर झुका होता है उस समय को उत्तरायण और जब पृथ्वी के दक्षिणी ध्रुव पर सूर्य के किरणे अधिक पड़ती हैं तो उस समय सूर्य को दक्षिणायन कहते हैं।
समस्त शुभ कार्यों के लिए उत्तरायण सूर्य शुभ माना जाता है। यहां तक की जन्म तथा मृत्यु के लिए भी उत्तरायण सूर्य शुभ होता है। हर वर्ष लगभग २२ दिसम्बर से १५ जुन तक सूर्य नारायण उत्तरायण होते हैं।
पाप ग्रह दक्षिणायन में तथा शुभ ग्रह उत्तरायण होने पर बली होते हैं।

ऋतु
भारतीय पञ्चाङ्ग के अनुसार वर्ष में दो-दो महीने की छः ऋतुएँ होती हैं।
ऋतु ग्रह चान्द्र मास
१. वसंत शुक्र चैत्र-वैशाख (Spring) March–May
२. ग्रीष्म मं+सू ज्येष्ठ-अषाढ़ (Summer) May-July
३. वर्षा चन्द्र श्रावण-भाद्रपद (Rainy) July-Sept
४. शरद बुध आश्विन-कार्तिक (Autumn) Sept-Nov
५. हेमन्त गुरु मार्गशीर्ष-पौष (Winter) Nov-January
६. शिशिर शनि माघ-फाल्गुन (Cool) January-March
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