Tuesday 17 January 2017

यज्ञों का प्रवर्तन असुरों ने किया

!!!---: असुरों द्वारा यज्ञों का प्रवर्तन :---!!!
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यज्ञों का आरम्भ असुरों ने ही किया था । तैत्तिरीय संहिता (३.३.७.१) में आया हैः---

"प्रजापतिर्देवासुरनसृजत । तदनु यज्ञोSसृज्यत, यज्ञं छन्दांसि । ते विश्वञ्चौ व्यक्रामन् । सोSसुरान् अनु यज्ञोSपाक्रामत् । यज्ञं छन्दांसि ।।"

इससे इतना स्पष्ट है कि यज्ञ असुरों के पास थे ।

सौत्रामणी यज्ञ के विषय में शतपथ-ब्राह्मण (१२.९.३.७) में स्पष्ट लिखा हैः--

"असुरेषु व एषोSग्रे यज्ञ आसीत् सौत्रामणी । स देवान् उपप्रैत ।"

यज्ञ असुरों से देवों के पास पहुँचा---

शतपथ-ब्राह्मण (१२.९.३.७) के पूर्वोक्त वचन के अनुसार सौत्रामणी पहले असुरों के पास था, फिर वह देवों के पास पहुँचा ।

इसी प्रकार तैत्तिरीय-संहिता (६.३.७.२) के वचन में श्लेष मानें , तो उससे भी यही ज्ञात होता है कि यज्ञ असुरों से देवों को प्राप्त हुए ।

कुछ काल के पश्चात् देव लोग यज्ञ-विद्या में असुरों से बहुत आगे निकल गए । अन्ततः ऐसी स्थिति आ गई कि असुर यज्ञों के विषय में देवों का अनुकरण करने लगेः---

"देवा वै यद् यज्ञे अकुर्वत तदसुरा अकुर्वत ।।" (तै.सं. ६.४.६.१)

यज्ञ देवों से मनुष्यों के पास पहुँचा---

कुछ काल के पश्चात् यज्ञ देवों से मनुष्यों के पास पहुँचा ।

महाराज ऐल ने गन्धर्वों (देव-जातिस्थों) से अग्नि-विद्या का रहस्य जानकार यज्ञ की एक अग्नि की तीन अग्नियों में विभाजित किया ---

"गन्धर्वेभ्यो वरं लब्ध्वा त्रेताग्निं समकारयत् ।

एकोSग्निः पूर्वमासीद् ऐलस्त्रेतामकारयत् ।ष (हलिवंश---१.२६.४७)

ऋषियों ने यज्ञ को विविध क्रिया-कलापों की सूक्ष्मता वा विविधता की पराकाष्ठा तक पहुँचा दिया ।

मनुष्यों में यज्ञ का आरम्भ त्रेता युग के आरम्भ में हुआ था, परन्तु असुरों और देवों में कृतयुग के उत्तरार्ध में आरम्भ हो चुका था ।

अब प्रश्न उठता है कि असुर कौन थे ? इसका उत्तर हम अग्रिम अंक में देंगे ।

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