!!!---: चेदी जनपद :---!!!
========================
चेदी जनपद की स्थितिः---
===================
वर्त्तमान बुन्देलखण्ड पुराना चेदी जनपद था । कई विद्वान् त्रिपुर को भी चेदी जनपद के अन्तर्गत मानते हैं , परन्तु महाभारत-युद्ध-काल में त्रिपुर प्रदेश चेदी जनपद से पृथक् था----मैकाले---"कुरुविन्देश्च त्रैपुरेश्च समन्वितः ।" (भीष्मपर्व--८७.९)
चेदीराज ने भारत-युद्ध में पाण्डवों के पक्ष से युद्ध किया था , जबकि त्रिपुर के क्षत्रियों ने दुर्योधन के पक्ष से युद्ध किया था । त्रिपुरी की पुरानी मुद्राएँ अंग्रेजों ने चुराकर ब्रिटिश संग्रहालय में संगृहीत किया है ।
चेदी जनपद की राजधानी
===================
चेदी राज की राजधानी शुक्तिमती थी---"वनपर्व--२२.५०)
कलचुरी राजाओं के काल में चेदिमण्डल बहुत विस्तृत हो गया था । उस समय चेदिमण्डल की राजधानी माहिष्मती थी---अनर्घराघवम्---७.११५)
चेदीराज का राजवंश
=================
भारत-युद्ध-काल में भोजकुल के क्षत्रिय चेदी पर राज करते थे । उनका वंश इस प्रकार है---
दमघोष और श्रुतश्रवा (पत्नी) का पुत्र शिशुपाल था, जिसे सुनीथ भी कहा जाता था, इसकी एक बहुन भी थी, जिसका नाम था---पटुश्रवा । (सभापर्व--७०.६४) और (वनपर्व--१४.३)
शिशुपाल की तीन सन्तानें थीं---सत्यकेतु, धृष्टकेतु और पुत्री करेणुमति । यह करेणुमति माद्री पुत्र नकुल की पत्नी थी ।
शिशुपाल महाबली राजा था----"चेदिराजो महाबलः" (सभापर्व--३९.५२)
वह जन्म से ही वृष्णियों का शत्रु था---"जन्मप्रभृति वृष्णीनां सुनीथः शत्रुरब्रवीत् ।" (सभापर्व---६९.५४) वृष्णिवंश कृष्ण का था ।
जब श्रीकृष्ण ने प्राग्ज्योतिष् (असम) पर आक्रमण किया था, तब शिशुपाल ने कृष्ण की अनुपस्थिति में द्वारका पर आक्रमण कर दिया था---(सभापर्व---६८.१५)
श्रीकृष्ण के पिता के अश्वमेध यज्ञ के घोडे को शिशुपाल ने ही चुरा लिया था---(सभापर्व---६८.१७)
इस प्रकार शिशुपाल और कृष्ण का वैर बढता ही गया । शिशुपाल की माँ श्रुतश्रवा कृष्ण की सगी बुआ थी । श्रुतश्रवा की कुल और चार बहनें थीं, उनके नाम इस प्रकार हैं--
राजा शूर की छः सन्तानें थी, सबसे बडा पुत्र वसुदेव था और शेष पाँच पुत्रियाँ थीं---पृथा (कुन्ती), श्रुतदेवा, श्रुतकीर्ति, श्रुतश्रवा और राजाधिदेवी ।
इनमें वसुदेव से कृष्ण हुए, पृथा (कुन्ती) से युधिष्ठिर, भीम, अजुर्न हुए, श्रुतदेवा से दन्तवक्त्र हुआ, श्रुतकीर्ति से सन्तर्दन नामक पुत्र हुआ, श्रुतश्रवा से शिशुपाल हुआ और राजाधिदेवी से विन्द हुआ ।
इस प्रकार कृष्ण और शिशुपाल फुफेरे भाई हुए ।
श्रुतदेवा करुणाधिपति वृद्धधर्मा से ब्याही गई थी । श्रुतकीर्ति केकयराज की पत्नी बनी । इन दोनों के पुत्र सन्तर्दन का नाम मत्स्यपुराण--४६.५ में अनुव्रत बताया है । ये कुल पाँच भाई केकयकुमार थे, जो पृथा (कुन्ती) के भागिनेय (भाँजे) थे ---(द्रोणपर्व---१०.५६--५७)
राजाधिदेवी आवन्त्य राज से ब्याही गई थी, उसके पुत्र हुए--विन्द और अनुविन्द ।
इस प्रकार आर्य इतिहास में ये पाँचों देवियाँ वीर माताएँ कही जाती हैं ।
धृष्टकेतु और सत्यकेतु दोनों भाइयों ने पाण्डवों के पक्ष से युद्ध किया था और वीरगति को प्राप्त हुए ।
===============================
www.vaidiksanskritk.com
www.shishusanskritam.com
आर्ष-साहित्य और आर्य विचारधारा के लिए---
www.facebook.com/ aarshdrishti
आयुर्वेद और हमारा जीवनः--
www.facebook.com/ aayurvedjeevan
चाणक्य-नीति पढें---
www.facebook.com/ chaanakyaneeti
वैदिक साहित्य की जानकारी प्राप्त करें---
www.facebook.com/ vaidiksanskrit
www.facebook.com/shabdanu
लौकिक साहित्य पढें---
www.facebook.com/ laukiksanskrit
सामान्य ज्ञान प्राप्त करें---
www.facebook.com/jnanodaya
संस्कृत सीखें---
www.facebook.com/ shishusanskritam
संस्कृत निबन्ध पढें----
www.facebook.com/ girvanvani
संस्कृत काव्य का रसास्वादन करें---
www.facebook.com/ kavyanzali
संस्कृत सूक्ति पढें---
www.facebook.com/ suktisudha
संस्कृत की कहानियाँ पढें---
www.facebook.com/ kathamanzari
www.vaidiksanskritk.com
www.shishusanskritam.com
आर्ष-साहित्य और आर्य विचारधारा के लिए---
www.facebook.com/
आयुर्वेद और हमारा जीवनः--
www.facebook.com/
चाणक्य-नीति पढें---
www.facebook.com/
वैदिक साहित्य की जानकारी प्राप्त करें---
www.facebook.com/
www.facebook.com/shabdanu
लौकिक साहित्य पढें---
www.facebook.com/
सामान्य ज्ञान प्राप्त करें---
www.facebook.com/jnanodaya
संस्कृत सीखें---
www.facebook.com/
संस्कृत निबन्ध पढें----
www.facebook.com/
संस्कृत काव्य का रसास्वादन करें---
www.facebook.com/
संस्कृत सूक्ति पढें---
www.facebook.com/
संस्कृत की कहानियाँ पढें---
www.facebook.com/
No comments:
Post a Comment